संस्थापक के बारे में
स्वर्गीय श्री ह्रदय राम शर्मा जी (1932 – 2018)
एम.ए. – (अंग्रेजी, हिंदी, अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान), एल.टी., एल.एल.बी., स्वर्ण पदक विजेता)
स्वर्गीय श्री ह्रदय राम शर्मा जी एक शिक्षाविद, समाजसेवी और शिक्षा के अधिकार में दृढ़ विश्वास रखने वाले दूरदर्शी व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन वंचित और गरीब बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करने के लिए समर्पित कर दिया। उनकी प्रेरणा और संकल्पना का परिणाम है कि आज उनके द्वारा आरंभ की गई यात्रा एक समृद्ध शैक्षिक संस्थान में परिवर्तित हो चुकी है।
स्वर्गीय श्री शर्मा जी ने अपने करियर की शुरुआत एक सरकारी विद्यालय में शिक्षक के रूप में की। हालांकि, यह नौकरी उनकी आत्मा को संतुष्टि नहीं दे सकी क्योंकि उनका सपना अपने समाज और समुदाय के लोगों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना था। अपने इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर 1960 के दशक में एक छोटे से विद्यालय की स्थापना की। यह विद्यालय दो कमरों की झोपड़ी में प्रारंभ हुआ था और प्रारंभ में 5वीं कक्षा तक की शिक्षा प्रदान करता था। उनके अथक प्रयासों और समर्पण के कारण यह विद्यालय क्रमशः 10वीं और फिर 12वीं कक्षा तक विस्तारित हुआ।
स्वर्गीय श्री शर्मा जी न केवल शिक्षण कार्य में कुशल थे बल्कि उन्होंने ग्रामीण समुदाय को जागरूक किया और विशेष रूप से पिछड़ी जातियों एवं समुदायों के बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा को विशेष प्राथमिकता दी, जो उस समय दूरस्थ स्थानों पर जाकर पढ़ाई करने में असमर्थ थीं। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के साथ-साथ वे खेलों के प्रति भी विशेष रुचि रखते थे। वे एक कुशल वॉलीबॉल खिलाड़ी थे और अन्य खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करते थे। इसके अतिरिक्त, उन्हें पढ़ने और लिखने का भी गहरा शौक था। उन्होंने कई किताबें लिखीं और उनके लेख प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उनके साहित्यिक कार्यों ने शिक्षा और समाज को नई दिशा प्रदान की।
स्वर्गीय श्री शर्मा जी द्वारा बोया गया शिक्षा का बीज आज एक विशाल वटवृक्ष का रूप ले चुका है। वर्तमान में, उनके द्वारा स्थापित विद्यालय में आस – पास के 30-35 गांवों के 1000 से अधिक छात्र-छात्राएं हर वर्ष शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह विद्यालय विशेष रूप से उन लड़कियों के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है, जो अपनी शिक्षा के लिए दूर नहीं जा सकती थीं।
स्वर्गीय श्री शर्मा जी के पदचिह्नों पर चलते हुए उनके पुत्र श्री राकेश पांडे ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए पी.डी. पाण्डेय राजपती महाविद्यालय की स्थापना की। इस महाविद्यालय का उद्देश्य भी समाज के वंचित वर्गों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है। वर्तमान में, यह महाविद्यालय बी.ए., बी.कॉम., बी.एससी., एम.ए. जैसे स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों के साथ-साथ लॉ, बी.टी.सी, बी.एड., और आई.टी.आई जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी उपलब्ध कराता है।
श्री ह्रदय राम शर्मा जी की यह यात्रा शिक्षा के क्षेत्र में उनके समर्पण, त्याग और दूरदृष्टि का प्रतीक है। उनकी जीवनशैली और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
सादर श्रद्धांजलि और आभार।